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सफलता का मूल मंत्र

सफलता का मूल मंत्र,  कम चीजों पर ध्यान केंद्रित करें|
 
अतुल विनोद:- 
 
लाइफ में हम सब बहुत सारी चीजों पर फोकस करते हैं|  कभी हमें कुछ सामान चाहिए| कभी हमें मन की शांति चाहिए| कभी हमें आध्यात्मिक उन्नति चाहिए| कभी हमें प्रगति चाहिए| कभी एक अच्छा जीवन साथी चाहिए| तो कभी एक अच्छा फ्रेंड|
 
कहते हैं कि “एके साधे सब सधे, और सब साधे सब जाए”  अब यहां तो इतनी सारी चीजों को एक साथ साधने की इच्छा है|  कैसे सधेगा इतना सब कुछ?
 
बिल गेट्स कहते हैं कि मैंने कुछ ही चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है यही मेरी सफलता का रहस्य है|  इतिहास में महान और सफल लोगों के जीवन में झांकने की कोशिश कीजिए|  ऐसे सभी लोग जो किसी मुकाम पर पहुंचे हुए कहे जाते हैं उन सब ने अपने नैसर्गिक रुझान के अनुसार कुछ लक्ष्य तय किए और उन्हीं पर ध्यान केंद्रित किया, कुछ मेहनत उनकी थी, कुछ प्रकृति का साथ और कुछ संयोग| कांबिनेशन ऐसा बना कि वो कुछ कर पाए कुछ दिखा पाए  और अनुसरण के काबिल बने|  
 
हमेशा हमें कुछ ना कुछ चाहिए|   धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चारों इच्छाएं एक साथ चलती हैं|  
 
धर्म में भी अनेक तरह की इच्छाएं, कभी आत्मा का साक्षात्कार, भगवान का साक्षात्कार, कभी लोगों के कल्याण की इच्छा, कभी दान दक्षिणा की इच्छा, कभी समाजसेवी कहलाने की इच्छा, कभी धार्मिक कहलाने की इच्छा, कभी धर्म गुरु बनने की इच्छा, कभी एक सुधारक बनने की इच्छा| 
 
पैसा कमाने और पैसा कमाने के साथ जुड़ी हुई इच्छाएं भी कम नहीं है|  “हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले” |  बहुत सारा पैसा भी चाहिए, पैसे के साथ-साथ सुकून भी चाहिए, रसूख भी चाहिए, दिखावा भी चाहिए, आलीशान कार, बंगला भी चाहिए|  इसलिए पैसे का खेल गड़बड़ा जाता है, पैसा आने से पहले ही सुख सुविधा में खर्च होने लगता है| व्यक्ति अमीर बनने की जगह और गरीब बन जाता है| 
 
कम चीजों पर ध्यान केंद्रित करें|  ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करें|  कम सुविधा के साथ सरवाइव करना सीखें|  दूसरों को प्रेरित करने की कोशिश करें|  जो सीखा है उसे आप सिखाने की कोशिश करते हैं तो आपके खुद के कांसेप्ट क्लियर होते हैं|
 
सफलता का कोई पैमाना नहीं है, ना सफलता के कोई स्पष्ट नीति निर्देशक सिद्धांत हैं|
 
सक्सेस के लिए बहुत ज्यादा पजेसिव होना भी एक बुराई है|  हमारा काम है अपनी व्यक्तिगत रूचि के अनुसार प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाते हुए एक निश्चित रास्ते पर चल पड़ना|  परिणाम के बारे में सोचते रहेंगे तो काम कैसे होगा?
 
हर व्यक्ति के साथ अच्छे ढंग से पेश आएं,  हर हाल में सहज रहें, सामान्य रहें, सबसे ठीक ढंग से बर्ताव करे, अपने आप में सुधार करते रहें, समस्या बनने की बजाए समाधान बनने की कोशिश करें|  छोटी-छोटी सफलताओं में मदमस्त ना हो जाए|  सदैव सम रहें, जीत और हार, दोनों स्थिति में धैर्य बनाए रखें|
 
हमेशा मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना करें|  समस्याओं को जिंदगी का हिस्सा माने| मुसीबतों का आदि बने|  विफलता  सिर्फ सीखने के लिए होती है|  विफलता से सीख के अलावा, टेंशन  जैसी अन्य कोई चीज कभी ना ले|
 
अपनी कमजोरियों को पहचाने, उन्हें ठीक करने का प्रयास करें|  अपने ऊपर काम करते रहें|  हमेशा कर्म के भरोसे ना बैठे|  याद रखें कर्म के अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है जो आपकी सफलता में योगदान करता है|
 
देश, काल, परिस्थिति, योग, संयोग, भाग्य, किस्मत इन सब का स्थान होता है| किस्मत और भाग्य आपके ही द्वारा किए गए कर्म है, जिनके द्वारा जो ऊर्जा आपने अपने अंदर संजोई हुई है, वहीं ऊर्जा देवी, देवता या दानव बन कर आपकी जिंदगी में सफलता या असफलता में भूमिका निभाती  हैं|
 
ईश्वर कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं करता, यदि आज आपको बिना किसी कारण मेहनत से कम नतीजा मिल रहा है तो कल जरूर आपको कम मेहनत में अधिक नतीजा मिलेगा|
 
स्पर्धा से कभी डरे नहीं|  लेकिन खुद को  कंपटीशन का शिकार ना होने दें|  कंपटीशन विन करने के लिए अपने हृदय को क्षति ना पहुंचाएं| पैसा कमाना हर अच्छे व्यक्ति का अधिकार है|  यदि पैसा अच्छे लोगों के हाथ में रहेगा तो वह समाज के उत्थान में भी काम आएगा|
 
आप अच्छे हैं, धार्मिक हैं, आध्यात्मिक हैं तो यह न सोचे कि पैसा आपके लिए नहीं है|  सच तो यह है कि हर अच्छे व्यक्ति के लिए पैसा महत्वपूर्ण है|  क्योंकि पैसे के माध्यम से वह और अच्छे कार्य कर सकता है|