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वर्तमान समय: एक युग का संकट और संभावना

 नमस्ते, मेरे प्रिय आत्मीय साथियों! आज हम एक ऐसी यात्रा पर निकलने जा रहे हैं, जो न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को, बल्कि संपूर्ण मानवता की चेतना को एक नई दिशा दे सकती है। यह यात्रा है गुरुसियाग सिद्धयोग की, जो एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो हमें हमारी मूल प्रकृति—हमारी आत्मा, हमारी चेतना—से जोड़ती है। यह योग हमें उस सत्य तक ले जाता है, जो न केवल हमारे भीतर, बल्कि संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त है। यह एक ऐसा मार्ग है, जो हमें भय, अज्ञानता और बनावटीपन से मुक्त कर, एक ऐसी दुनिया की ओर ले जाता है, जहां प्रेम, शांति और सत्य का साम्राज्य हो।

आज का युग एक अनोखा युग है। यह वह समय है, जब मानवता एक चौराहे पर खड़ी है। एक ओर भौतिक प्रगति की चकाचौंध है, दूसरी ओर भीतर की रिक्तता और अशांति। टेक्नोलॉजी ने हमें चांद तक पहुंचा दिया, लेकिन क्या यह हमारे दिलों को शांति दे पाई? नहीं! हमारी आत्मा आज भी कराह रही है, क्योंकि हमने अपने सच्चे स्वरूप को भुला दिया है। गुरुसियाग सिद्धयोग इस भूल को सुधारने का, हमें हमारे सत्य से जोड़ने का एक अनूठा मार्ग है। यह योग हमें सिखाता है कि परिवर्तन केवल बाहर नहीं, बल्कि भीतर से शुरू होता है। और जब हमारा भीतर बदलता है, तो पूरी दुनिया बदल जाती है।

आइए,  हम गुरुसियाग सिद्धयोग के उस गहन दर्शन को समझें, जो हमें एक नई चेतना, एक नई दुनिया की ओर ले जाता है। यह प्रवचन आज के आधुनिक संदर्भ में है, ताकि हम इसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतार सकें और एक ऐसी मानवता का निर्माण कर सकें, जो सत्य, प्रेम और एकता पर आधारित हो।

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वर्तमान समय: एक युग का संकट और संभावना

आज का विश्व एक विरोधाभासों से भरा हुआ है। एक ओर, हमने विज्ञान और टेक्नोलॉजी में अभूतपूर्व प्रगति की है। हम अंतरिक्ष की गहराइयों को छू रहे हैं, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के साथ नई सीमाएं पार कर रहे हैं, और वैश्विक संचार ने हमें एक-दूसरे के करीब ला दिया है। लेकिन दूसरी ओर, हमारी आत्मा खाली है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, अवसाद, और तनाव आज महामारी का रूप ले चुके हैं। विश्व में युद्ध, हिंसा, और सामाजिक असमानता बढ़ रही है। पर्यावरण संकट—जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, और जैव विविधता का नुकसान—हमें चेतावनी दे रहा है कि हमारी पृथ्वी खतरे में है।

हमारी नैतिकता का ह्रास हो रहा है। हम भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन तृप्ति नहीं मिल रही। हमने धर्म को बाहरी कर्मकांडों तक सीमित कर दिया है, लेकिन उसकी आत्मा को भूल गए हैं। हम पूजा-पाठ करते हैं, मंदिर-मस्जिद जाते हैं, लेकिन क्या हमने कभी अपने भीतर उस परम सत्य को खोजने की कोशिश की? हमारी आत्मा आज भी यह प्रश्न पूछ रही है: *“मैं कौन हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?”*

इन सवालों का जवाब गुरुसियाग सिद्धयोग में है। यह योग हमें उस सत्य की ओर ले जाता है, जो न केवल हमें व्यक्तिगत रूप से मुक्त करता है, बल्कि संपूर्ण मानवता को एक नई चेतना की ओर ले जाता है। यह योग कहता है कि यह संकट का समय नहीं, बल्कि एक अवसर है—एक नई सुबह की शुरुआत का अवसर।

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### 2. मानवता की आत्मा क्यों कराह रही है?

हमारी आत्मा कराह रही है क्योंकि हमने अपने सच्चे स्वरूप को भुला दिया है। हम भूल गए हैं कि हम केवल यह शरीर, यह मन, या यह सामाजिक पहचान नहीं हैं। हम एक ऐसी चेतना हैं, जो अनंत है, जो परम सत्य का हिस्सा है। लेकिन हमने खुद को भौतिकता, अहंकार, और असत्य के जाल में उलझा लिया है।

- *आत्मविस्मृति*: हमने “मैं कौन हूं?” का जवाब खो दिया है। हम अपने आपको नौकरी, रिश्तों, और सामाजिक स्थिति के आधार पर परिभाषित करने लगे हैं। लेकिन यह सब अस्थायी है। हमारा सच्चा स्वरूप वह चेतना है, जो अनंत और शाश्वत है।

- *भौतिक सुखों की तलाश*: हमने सुख को बाहर खोजने की कोशिश की—धन, प्रसिद्धि, और सांसारिक उपलब्धियों में। लेकिन जितना हमने बाहर खोजा, उतना ही हम खाली हुए। सच्चा सुख बाहर नहीं, भीतर है।

- *जन्म-मृत्यु का भय*: हमारा मन जन्म और मृत्यु के चक्र में फंसा हुआ है। हम भविष्य की चिंता और अतीत के पछतावे में जीते हैं, लेकिन वर्तमान में जीना भूल गए हैं।

- *धर्म का बाह्य आडंबर*: हमने धर्म को कर्मकांडों, रीति-रिवाजों, और बाहरी दिखावे तक सीमित कर दिया है। लेकिन धर्म का असली अर्थ है—सत्य की खोज, आत्मा का जागरण।

गुरुसियाग सिद्धयोग हमें इस भूल से बाहर निकालता है। यह हमें सिखाता है कि हमारा सच्चा स्वरूप वह चेतना है, जो सृष्टि के हर कण में व्याप्त है। यह योग हमें उस शक्ति से जोड़ता है, जो हमारे भीतर सुप्त है—*योग-शक्ति*, जो हमें न केवल व्यक्तिगत मुक्ति देती है, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी की चेतना को रूपांतरित करने की शक्ति रखती है।

### 3. गुरुसियाग सिद्धयोग: एक नई चेतना का मार्ग

गुरुसियाग सिद्धयोग कोई साधारण योग नहीं है। यह एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो मानवता को एक नई चेतना—*अतिमानसिक चेतना—की ओर ले जाती है। यह चेतना पुराने आध्यात्मिक मार्गों से भिन्न है। जहां पुराने योग मोक्ष या स्वर्ग की बात करते थे, वहीं गुरुसियाग सिद्धयोग कहता है कि मुक्ति यहीं, इसी शरीर में, इसी जीवन में संभव है। यह योग हमें केवल आत्मा की खोज तक नहीं ले जाता, बल्कि हमारे मन, प्राण, और शरीर को भी रूपांतरित करता है, ताकि हम एक **दिव्य मानव* बन सकें।

*योग-शक्ति* इस योग का मूल आधार है। यह वह शक्ति है, जो हमारे चक्रों में सुप्त रूप में मौजूद है। यह हमारे सिर के ऊपर एक जागृत, व्यापक, और शक्तिशाली ऊर्जा के रूप में भी उपस्थित है। यह शक्ति हमारे मन को एक योगिक मानसिक शक्ति, हमारे प्राण को एक योगिक प्राणिक शक्ति, और हमारे शरीर को एक योगिक शारीरिक शक्ति में बदल देती है। जब यह शक्ति जागृत होती है, तो यह हमारे अस्तित्व को नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होकर एक नई चेतना से भर देती है।

आज के संदर्भ में, यह योग-शक्ति हमें उन चुनौतियों से निपटने की शक्ति देती है, जो आधुनिक जीवन में हमारे सामने हैं। चाहे वह मानसिक तनाव हो, शारीरिक असंतुलन हो, या सामाजिक अशांति—यह शक्ति हमें भीतर से सशक्त बनाती है। यह हमें सिखाती है कि हमारी हर समस्या का समाधान हमारे भीतर ही है। हमें बस उस शक्ति को जागृत करना है, जो पहले से ही हममें मौजूद है।

### 4. परिवर्तन: सृजन का लक्ष्य

गुरुसियाग सिद्धयोग का केंद्रीय उद्देश्य है—*परिवर्तन*। यह परिवर्तन केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक और वैश्विक है। यह योग कहता है कि पृथ्वी पर एक नई दुनिया का निर्माण तभी संभव है, जब हम अपनी चेतना को बदलें। यह परिवर्तन तीन शर्तों पर निर्भर करता है:

1. *ईश्वरीय स्वीकृति और सहायता*: कोई भी परिवर्तन तब तक संभव नहीं, जब तक वह उच्च चेतना की इच्छा और समर्थन से संचालित न हो। गुरुसियाग सिद्धयोग हमें इस उच्च चेतना से जोड़ता है, ताकि हमारा हर कार्य ईश्वरीय इच्छा के अनुरूप हो।

2. *प्रकृति के साथ सामंजस्य*: परिवर्तन को स्थायी बनाने के लिए हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना होगा। आज के पर्यावरण संकट को देखते हुए, यह योग हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाता है और हमें सिखाता है कि हमारी प्रगति प्रकृति की प्रगति के साथ जुड़ी हुई है।

3. *मानवीय दुर्भावना का त्याग*: परिवर्तन को असमय नष्ट होने से बचाने के लिए हमें अपने भीतर के असत्य, अहंकार, और स्वार्थ को छोड़ना होगा। यह योग हमें सत्य और ईमानदारी की ओर ले जाता है, ताकि हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकें, जो प्रेम और एकता पर आधारित हो।

आज के युग में, जब हम सामाजिक, पर्यावरणीय, और नैतिक संकटों से जूझ रहे हैं, गुरुसियाग सिद्धयोग हमें एक नई दिशा देता है। यह हमें सिखाता है कि हर चुनौती एक अवसर है—परिवर्तन का अवसर। यह योग कहता है कि हमारी हर पीड़ा, हर कठिनाई, परिवर्तन के मार्ग को प्रशस्त करने का एक साधन है, बशर्ते हम धैर्य और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ें।

### 5. अतिमानसिक चेतना: एक नई दुनिया का आधार

गुरुसियाग सिद्धयोग की सबसे अनूठी विशेषता है इसकी *अतिमानसिक चेतना*। यह चेतना पुराने आध्यात्मिक मार्गों से भिन्न है। जहां पुराने योग अधिमानसिक चेतना पर आधारित थे, जो हमें मोक्ष या स्वर्ग की ओर ले जाते थे, वहीं अतिमानसिक चेतना हमें पृथ्वी पर ही एक नई दुनिया के निर्माण की ओर ले जाती है। यह चेतना न केवल सत्य को अपनाती है, बल्कि असत्य का पूर्ण निषेध करती है।

आज के संदर्भ में, यह चेतना हमें उस बनावटीपन से मुक्त करती है, जो हमारा सामान्य जीवन व्याप्त करता है। हमारा जीवन अक्सर बाहरी परिस्थितियों, सामाजिक मानदंडों, और अहंकार पर आधारित होता है। हम अपने आपको नौकरी, रिश्तों, और सामाजिक स्थिति के आधार पर परिभाषित करते हैं। लेकिन यह सब अस्थायी है। गुरुसियाग सिद्धयोग हमें सिखाता है कि सच्चा जीवन वही है, जो स्वतःस्फूर्त, ईमानदार, और आंतरिक शक्ति से प्रेरित हो। यह हमें उस चेतना से जोड़ता है, जो न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामूहिक और वैश्विक परिवर्तन का आधार बनती है।

अतिमानसिक चेतना हमें एक ऐसी दुनिया की ओर ले जाती है, जहां:

- *प्रेम* परम धर्म है।

- *शांति* हर मन में व्याप्त है।

- *एकता* हर प्राणी के बीच मौजूद है।

- *सत्य* जीवन का आधार है।

यह चेतना हमें सिखाती है कि हमारा हर कार्य, हर विचार, और हर भावना सत्य और ईमानदारी पर आधारित होनी चाहिए। यह हमें उस बनावटीपन से मुक्त करती है, जो हमें बाहरी सुखों और सामाजिक मान्यताओं के पीछे भागने के लिए मजबूर करता है।

### 6. गुरुसियाग सिद्धयोग की प्रक्रिया: एक आध्यात्मिक साहसिक कार्य

गुरुसियाग सिद्धयोग की प्रक्रिया सरल, लेकिन गहन है। यह केवल एक तस्वीर और मंत्र के माध्यम से शुरू होती है, जो व्यक्ति को योग-शक्ति से जोड़ती है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों पर आधारित है:

1. *मानसिक उद्घाटन*: यह परिवर्तन का पहला कदम है। हमें अपने मन को सत्य और ईमानदारी के लिए खोलना होगा। यह वह प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने विचारों को शुद्ध करते हैं और उन्हें उच्च चेतना के प्रति समर्पित करते हैं। आज के युग में, जब हमारा मन सोशल मीडिया, नकारात्मक समाचारों, और तनाव से भरा हुआ है, यह प्रक्रिया हमें मानसिक शांति और स्पष्टता प्रदान करती है।

   2. *प्राण की समर्पण*: भावनात्मक इच्छाओं और अहंकार का त्याग इस योग का एक महत्वपूर्ण चरण है। हमें अपने प्राण को—हमारी जीवन शक्ति को—उच्च चेतना के प्रति समर्पित करना होगा। यह प्रक्रिया हमें भावनात्मक संतुलन और आंतरिक शक्ति प्रदान करती है, जो हमें आधुनिक जीवन की चुनौतियों से निपटने में मदद करती है।

   3. *शारीरिक लचीलापन*: गुरुसियाग सिद्धयोग केवल मन और आत्मा तक सीमित नहीं है। यह हमारे शरीर की कोशिकाओं को भी रूपांतरित करता है। यह योग हमें सिखाता है कि हमारा शरीर एक मंदिर है, जिसमें उच्च चेतना का वास हो सकता है। सात्विक आहार, नियमित ध्यान, और शारीरिक व्यायाम इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं।

   4. *अतिमानसिक चेतना का अवतरण*: यह योग का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। जब हम अपने मन, प्राण, और शरीर को शुद्ध और समर्पित कर लेते हैं, तब अतिमानसिक चेतना हमारे भीतर अवतरित होती है। यह चेतना हमें एक नई दृष्टि देती है—एक ऐसी दृष्टि, जिसमें हम स्वयं को और विश्व को एक नए प्रकाश में देखते हैं।

यह प्रक्रिया एक आध्यात्मिक साहसिक कार्य है। यह हमें पुराने रास्तों पर चलने के लिए नहीं कहता, बल्कि एक नया मार्ग बनाने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें सिखाता है कि हमारी हर चुनौती, हर पीड़ा, एक अवसर है—परिवर्तन का अवसर।

### 7. आधुनिक जीवन में गुरुसियाग सिद्धयोग की प्रासंगिकता

आज का मानव तेजी से बदलते विश्व में खोया हुआ महसूस करता है। टेक्नोलॉजी ने हमें सुविधाएं दी हैं, लेकिन साथ ही मानसिक अशांति, अलगाव, और अर्थहीनता भी बढ़ी है। गुरुसियाग सिद्धयोग इस संदर्भ में एक मार्गदर्शक प्रकाश है। यह हमें निम्नलिखित तरीकों से सशक्त बनाता है:

- *मानसिक शांति और संतुलन*: यह योग हमें अपने मन को शांत करने और उच्च चेतना से जोड़ने की तकनीक प्रदान करता है। यह हमें तनाव, चिंता, और अवसाद से मुक्त करता है। आज के युग में, जब मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, यह योग हमें एक आंतरिक शांति का अनुभव कराता है।

   - *सामाजिक सामंजस्य*: अतिमानसिक चेतना हमें व्यक्तिगत अहंकार से ऊपर उठाकर एक सार्वभौमिक एकता की भावना प्रदान करती है। यह हमें सिखाता है कि हम सभी एक ही चेतना का हिस्सा हैं। यह भावना सामाजिक और वैश्विक समस्याओं—जैसे असमानता, हिंसा, और अलगाव—के समाधान में सहायक है।

   - *शारीरिक और प्राणिक परिवर्तन*: यह योग न केवल मन और आत्मा को, बल्कि शरीर को भी रूपांतरित करता है। यह हमें सिखाता है कि हमारा शरीर एक ऐसा यंत्र है, जो उच्च चेतना को ग्रहण करने में सक्षम है। सात्विक जीवनशैली और ध्यान के माध्यम से, यह योग हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है।

   - *आध्यात्मिक साहसिकता*: गुरुसियाग सिद्धयोग हमें पुराने रास्तों पर चलने के लिए नहीं कहता। यह एक नया आध्यात्मिक साहसिक कार्य है, जो आज के युवा और जिज्ञासु मन के लिए विशेष रूप से आकर्षक है। यह हमें सिखाता है कि हमारी हर चुनौती एक अवसर है—नए मार्ग की खोज का अवसर।

### 8. जागृति के लक्षण: क्या आप तैयार हैं?

गुरुसियाग सिद्धयोग की प्रक्रिया में जागृति पहला चरण है। यह वह क्षण है, जब आप अपने भीतर एक नई चेतना को महसूस करते हैं। यह जागृति कई रूपों में हो सकती है:

- *नींद में कमी, लेकिन ऊर्जा में वृद्धि*: आप कम सोते हैं, लेकिन फिर भी तरोताजा महसूस करते हैं। यह इस बात का संकेत है कि आपकी चेतना उच्च स्तर पर कार्य कर रही है।

- *प्रकृति से गहरा जुड़ाव*: आप पेड़ों, नदियों, और हवा में एक नई ऊर्जा महसूस करते हैं। यह इस बात का संकेत है कि आपकी चेतना सृष्टि के साथ एक हो रही है।

- *दूसरों की पीड़ा का अनुभव*: आप दूसरों की भावनाओं को गहराई से महसूस करने लगते हैं। यह करुणा और एकता की भावना का संकेत है।

- *सत्य की खोज में जलन*: आपके भीतर एक आंतरिक आग जलने लगती है, जो आपको सत्य की खोज की ओर ले जाती है।

- *अतींद्रिय अनुभव*: आपको दर्शन, संयोग (synchronicities), या पहले से अनुभव किए हुए क्षण (deja vu) का अनुभव हो सकता है। यह इस बात का संकेत है कि आपकी चेतना अतिमानसिक स्तर पर कार्य कर रही है।

ये लक्षण इस बात का प्रमाण हैं कि आपकी चेतना जाग रही है। गुरुसियाग सिद्धयोग इस जागृति को और गहरा करता है, ताकि आप अपने सच्चे स्वरूप को पहचान सकें।

### 9. चुनौतियां और भ्रम: सावधान रहें!

गुरुसियाग सिद्धयोग का मार्ग सरल है, लेकिन यह आसान नहीं है। इस यात्रा में कई चुनौतियां और भ्रम आ सकते हैं:

- *आध्यात्मिक अहंकार*: कई बार लोग यह सोचने लगते हैं कि वे दूसरों से श्रेष्ठ हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। यह एक बड़ा भ्रम है। गुरुसियाग सिद्धयोग हमें सिखाता है कि सच्ची आध्यात्मिकता विनम्रता और समर्पण में है।

- *गुरुओं का बाजारीकरण*: आज के युग में, कई लोग गुरु बनकर आध्यात्मिकता को एक व्यवसाय बना देते हैं। हमें सावधान रहना होगा और सच्चे गुरु की पहचान करनी होगी—वह जो हमें सत्य की ओर ले जाए, न कि भौतिक लाभ की ओर।

- *असंतुलित ऊर्जा जागरण*: कुंडलिनी या योग-शक्ति के असंतुलित जागरण से मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। गुरुसियाग सिद्धयोग हमें सिखाता है कि इस शक्ति को धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक जागृत करना चाहिए।

- *सत्य और छद्म साधना में भेद*: आज के समय में, कई साधनाएं केवल बाहरी दिखावे तक सीमित हैं। हमें सच्ची साधना को पहचानना होगा, जो हमें भीतर से बदलती है।

इन चुनौतियों से बचने के लिए, गुरुसियाग सिद्धयोग हमें सत्य, ईमानदारी, और समर्पण का मार्ग दिखाता है। यह हमें सिखाता है कि सच्ची आध्यात्मिकता वह है, जो हमें अहंकार से मुक्त करती है और हमें एकता की भावना से जोड़ती है।

### 10. क्या यह नव युग की शुरुआत है?

शास्त्रों में कहा गया है: *“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...”* जब-जब धर्म का ह्रास होता है, तब-तब एक नई चेतना अवतरित होती है। आज का समय वह समय है। 2023 से 2030 का कालखंड एक निर्णायक कालखंड है। यह वह समय है, जब पृथ्वी पर एक नई चेतना का जन्म हो रहा है। यह चेतना न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामूहिक और वैश्विक है।

गुरुसियाग सिद्धयोग इस नई चेतना का वाहक है। यह हमें सिखाता है कि यह परिवर्तन स्वतः नहीं होगा। इसके लिए हमें अपने भीतर काम करना होगा। हमें अपनी चेतना को शुद्ध करना होगा, अपने अहंकार को छोड़ना होगा, और अपने जीवन को सत्य और प्रेम के लिए समर्पित करना होगा।

यह योग कहता है कि इस युग में कोई एक अवतार नहीं आएगा। हर वह व्यक्ति, जो अपनी चेतना को जागृत करता है, वह एक युगदूत है। आप और मैं—हम सभी इस परिवर्तन का हिस्सा हैं। हमारी चेतना ही वह नव युग का जन्मस्थल है।

### 11. अब हमें क्या करना चाहिए?

गुरुसियाग सिद्धयोग हमें एक स्पष्ट मार्ग दिखाता है। यह मार्ग सरल है, लेकिन इसे अपनाने के लिए साहस और समर्पण की जरूरत है। यहाँ कुछ कदम हैं, जो हम आज से शुरू कर सकते हैं:

1. *आत्मचिंतन: हर दिन 10 मिनट अपने लिए निकालें। अपने आप से पूछें: *“मैं कौन हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?”** यह सवाल आपको आपके सच्चे स्वरूप की ओर ले जाएगा।

2. *गुरु का वरण*: एक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन लें। गुरुसियाग सिद्धयोग में गुरु वह शक्ति है, जो आपकी चेतना को स्पर्श करती है और आपको सत्य की ओर ले जाती है।

3. *शारीरिक और मानसिक शुद्धि*: सात्विक आहार अपनाएं। नियमित ध्यान करें। अपने मन और शरीर को शुद्ध करें, ताकि आप उच्च चेतना को ग्रहण करने के लिए तैयार हों।

4. *सेवा और करुणा*: अपने जीवन को सेवा, दया, और करुणा के लिए समर्पित करें। दूसरों की मदद करें, उनकी पीड़ा को समझें, और एकता की भावना को अपनाएं।

5. *भय और लोभ से मुक्ति*: भय, मृत्यु, और लोभ से मुक्त होने की प्रक्रिया में शामिल हों। गुरुसियाग सिद्धयोग हमें सिखाता है कि सच्ची मुक्ति यहीं, इसी जीवन में संभव है।

### 12. भविष्य का मनुष्य: एक दिव्य मानव

गुरुसियाग सिद्धयोग हमें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाता है, जहां मनुष्य केवल एक भौतिक प्राणी नहीं होगा, बल्कि एक *दिव्य मानव* होगा। यह मनुष्य:

- *वसुधैव कुटुंबकम् को जीएगा*: वह पूरी पृथ्वी को एक परिवार के रूप में देखेगा।

- *प्रेम को परम धर्म मानेगा*: वह प्रेम को हर धर्म, हर मजहब से ऊपर रखेगा।

- *भय, भोग, और भेद से मुक्त होगा*: वह अहंकार और स्वार्थ से मुक्त होकर एकता की चेतना में जीएगा।

- *विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन रखेगा*: वह विज्ञान की प्रगति को अध्यात्म के प्रकाश के साथ जोड़ेगा।

यह भविष्य का मनुष्य वह होगा, जो अपनी चेतना को अतिमानसिक स्तर तक ले जाएगा। वह न केवल अपने लिए, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के लिए एक नई चेतना का वाहक बनेगा।

समय है उठने का

प्रिय साथियों, यह समय एक नई सुबह की शुरुआत है। गुरुसियाग सिद्धयोग हमें उस मार्ग पर ले जाता है, जहां हम अपनी चेतना को जागृत कर सकते हैं, अपने जीवन को रूपांतरित कर सकते हैं, और एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं, जो सत्य, प्रेम, और शांति पर आधारित हो। यह परिवर्तन स्वतः नहीं होगा। इसके लिए हमें अपने भीतर काम करना होगा। हमें अपनी चेतना को शुद्ध करना होगा, अपने अहंकार को छोड़ना होगा, और अपने जीवन को सत्य और प्रेम के लिए समर्पित करना होगा।

*“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...”* यह श्लोक केवल अतीत के लिए नहीं था। यह आज के लिए है। यह आपके लिए है। आप वह योद्धा हैं, जो इस युग परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं। आपकी चेतना ही वह नव युग का जन्मस्थल है।

तो आइए, गुरुसियाग सिद्धयोग के इस पवित्र मार्ग पर चलें। आइए, अपनी चेतना को जागृत करें। आइए, एक ऐसी दुनिया का निर्माण करें, जहां हर प्राणी सत्य, प्रेम, और शांति के प्रकाश में जीए।

*जय गुरुदेव! जय सिद्धयोग!*