अतुल विनोद:-
एक समय था जब सफलता के लिए मेहनत को सूत्र वाक्य माना जाता था| लेकिन सफलता सिर्फ मेहनत पर डिपेंड नहीं करती| हम सब सफलता के लिए दिन रात मेहनत करते हैं लेकिन इसके बावजूद भी सक्सेस दूर रह जाती है| जितना उसके पीछे भागो वो उतना ही आगे-आगे भागती चली जाती है|
इसका मतलब ये है कि सफलता सिर्फ मेहनत से नहीं हासिल की जा सकती| सफलता के साथ कुछ और गुण होना जरूरी है| भले ही भौतिकवादी विधि के विधान पर यकीन न करें| लेकिन विधि के लेख भी सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|
विधि के लेख को यदि हम परमात्मा पर छोड़ दें| तो हमारे हाथ में जो है वह हमारी मेहनत| मेहनत के साथ हम अपनी इच्छा शक्ति को जोड़ दें| इच्छाशक्ति के साथ अपने लक्ष्य के बीच में आ रहे प्रतिरोधों को त्याग दें| उस सीमित और संकुचित विचारधारा को छोड़ दें जो अंदर ही अंदर हमसे कहती है कि ये हमें मिल नहीं सकता| तो काफी हद तक हम लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ जाते हैं|
ईश्वर जब जो देता है तब देता है| दैवीय मदद जब मिलनी होती है तब मिलती है, लेकिन उसके इंतजार में बैठा नहीं जा सकता| लक्ष्य के पीछे दौड़ना जरूरी नहीं है| लेकिन लक्ष्य के लिए लगातार कोशिश करते रहना जरूरी है| हां जब तमाम कोशिशों के बाद भी लक्ष्य हासिल ना हो तो थोड़े समय के लिए विश्राम कर लेना ठीक है|
इच्छा शक्ति से हमारा संकल्प मजबूत होता है सफलता का रास्ता सुगम हो जाता है| कोई भी लक्ष्य समय और सामर्थ्य के अनुसार ही तय करें| सफलता के वर्तमान मापदंड हर हाल में जूझते रहने की बात करते हैं| लेकिन यह बेवकूफी से ज्यादा कुछ भी नहीं है| हमेशा व्यवहारिक लक्ष्य तय करें और उसी के अनुसार आगे बढ़ें| अपने आप को शिक्षित करते रहें ज्ञान और अनुभव से खुद को मजबूत बनाते रहे|
मन से कभी ना हारे| माना कि कई बार हमारी राह में हमारे प्रारब्ध के कर्म और संस्कार बाधा बन जाते हैं| जीवन के रास्ते में कई बार समय अवरोध बनकर खड़ा हो जाता है| लेकिन इससे भी ज्यादा मामलों में हमारा मन ही हमारा रास्ता रोकता है| इसलिए मन से हमेशा सकारात्मक रहे आत्मविश्वास बनाए रखें “क्या हार में क्या जीत में? किंचित नहीं भयभीत मैं” की भावना रखें|

