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ध्यान कैसे करे ?

ऐसे कई कोर्स संचालित हैं जो 1 हफ्ते या 15 दिन के होते हैं जिनमें आपको सुबह से लेकर रात तक सिर्फ ध्यान की प्रक्रिया करनी पड़ती है , ध्यान रखें कि परेशानी होने पर एक ही पोजीशन पर ना बैठें , यदि आपको बैठने में तकलीफ हो रही है तो आप अपना पोश्चर चेंज कर लें | यदि आप ऐसी जगह एकाग्रता का अभ्यास कर रहे हैं यह किसी खास प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और आपका दिमाग गर्म हो रहा है दर्द हो रहा है तब आप ध्यान को वहां से हटा ले और अपने दिमाग को ठंडक दें | ध्यान और आत्मज्ञान परिणाम है ना कि किसी प्रक्रिया का हिस्सा | आज के दौर में हमारी प्राचीन ध्यान और योग की विधियां बहुत हद तक मूल रूप से बदल गई है हमारा योग विज्ञान एक पूर्ण विज्ञान है जिसमें बहुत ज्यादा बदलाव की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मूल रूप से योग हमारी चेतना के द्वारा स्वतः ही हमें कराया जाता है जिसमें बदलाव की शायद ही कोई गुंजाइश हो हां आधुनिक तकनीकी की वजह से हम अच्छी-अच्छी ध्वनियों को रिकॉर्ड करके उन्हें रीप्ले करके सुन सकते हैं, इसमें कोई बुराई नहीं लेकिन मूल रूप से योग को बदला नहीं जा सकता |
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कई बार हम बड़े-बड़े ध्यान योग शिविर अटेंड करने के बाद खुद को आध्यात्मिक व्यक्ति मानने का भ्रम पाल लेते हैं और हमें लगता है कि हम ध्यानी हो गए हैं, लेकिन यह सिर्फ हमारा ईगो ही होता है, अध्यात्म किसी प्रक्रिया का हिस्सा बनना नहीं है बल्कि आध्यात्मिक उपलब्धि है, जीवन की एक विधि है, अस्तित्व का एक आयाम है |
कुछ गुरु कहते हैं कि वर्तमान के प्रति जागरूक हो जाओ बस, वर्तमान के प्रति जागरूक होना एक विचार, एक अच्छी कल्पना तो हो सकती है परंतु जब तक हम विकारों , बुरी आदतों ,बुरे संस्कारों से मुक्त नहीं होंगे तब तक हम वर्तमान के प्रति कैसे जागरूक हो सकते हैं ? भारतीय योग विज्ञान अपने आप में पूर्ण है योग विज्ञान चरणबद्ध रूप से आपको आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है योगिक प्रक्रियाओं की शुरुआत से पहले भारतीय योग दर्शन षट्कर्म करने कि सलाह देता है इसके बाद अष्टांग योग|
अध्यात्म सिर्फ self-realization के लिए है, अध्यात्म आप की सामान्य समस्याओं के हल के लिए नहीं है, ना ही आध्यात्म आपको चमत्कारिक पुरुष बनाने के लिए है, हां अध्यात्म से स्वतः ही आपकी भौतिक समस्याएं हल हो जाए तो यह परमात्मा का प्रसाद है , वरना भौतिक जीवन की सामान्य समस्याओं के हल के लिए अध्यात्म का सहारा लेना कोई होशियारी का काम नहीं है | आध्यात्म निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो लंबे समय में फलित होती है
अतुल विनोद !