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सूक्ष्म शरीर (astral travel )

सब कुछ अन्दर ही घटित होता है |
आउट ऑफ़ बॉडी अनुभव में आप अनुभव करेंगे कि आप अपने सिर के ऊपर से निकल रहे हैं, एक सफेद तंतु से जुड़े हुए जैसे कि कमल का तना या एक गर्भनाल और ऊपर आकाश में एक हजार शाखाओं में बंटी हुई पंखुड़ियाँ ।
आप अनुभव करेंगे कि आप नाभि से बाहर निकल रहे हैं और ऊपर और ऊपर आकाश में जा रहे हैं,फिर भी उसी सफेद धागे की तरह नाल के माध्यम से आप आपके शरीर से जुड़े हुए हैं |
आप अनुभव करेंगे कि आप वापस आ रहे हैं और धीरे-धीरे
अपने शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। आप अपने शरीर को महसूस करना शुरू कर देंगे जैसे कि आप किसी और के शरीर को महसूस कर रहे हैं,
तब आप वापस अपने होश में आएंगे और महसूस करेंगे कि आप ध्यान कर रहे हैं।

ध्यान करते समय 
आप अनुभव करेंगे कि आप अपने शरीर से उठ चुके हैं और आप अपने शरीर को दूर से देख रहे हैं।

ध्यान के अनुभवों का क्या महत्व है?

 ये अध्यात्म की समझ बढ़ाते हैं ,ध्यान में होने का अहसास कराते हैं आत्मा और परमात्मा की समझ बढ़ाते हैं |
आत्मबोध क्या है?
 यह आपकी उच्चतर वास्तविकता का प्रत्यक्ष अनुभवात्मक ज्ञान (अपरोक्ष अनुभूति) है। यदि अनुभव के माध्यम से नहीं,तो किसी को आत्म -साक्षात्कार कैसे हो सकता है? सोच कर? खुद के होने का दिखावा करके?कल्पना करके,मतिभ्रम से ?
प्रत्यक्ष ध्यान
/ आध्यात्मिक अनुभवों के बिना,दुनिया में सभी आध्यात्मिक ज्ञान उधार का है

आत्मा,आध्यात्मिक शरीर या सूक्ष्म शरीर हमारे भौतिक शरीर के अंदर और बाहर एक चुंबकीय क्षेत्र की तरह है। ध्यान इस आत्मा को जगाने ,जानने या होने की अनुभूति की प्रक्रिया का नाम है ।
वास्तविक स्व या मै का ज्ञान केवल इस आध्यात्मिक शरीर के माध्यम से ही हो सकता है। आध्यात्मिक शरीर को अभिव्यक्ति के लिए शब्दों और भाषा की आवश्यकता नहीं होती है।

चेतना
, आत्मा
,सत्य ,सत्व ,अस्तित्व ,आयाम ,मूल प्रकृति ,स्व 

आत्मा
- आध्यात्मिक शरीर या सूक्ष्म शरीर,हमारे भौतिक शरीर के अंदर और बाहर,एक चुंबकीय क्षेत्र की तरह है। किसी के वास्तविक स्व यानि उसके सूक्ष्म अस्तित्व का ज्ञान केवल इस आध्यात्मिक शरीर के माध्यम से ही जाना जा सकता है। आध्यात्मिक शरीर को अनुभूति के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होती ।

कुण्डलिनी योग के सभी अनुभव असाधारण होते हैं , ये हमे हमारे अस्तित्व का पता देते हैं ,ये अनुभव बताने के लिए पर्याप्त हैं कि हमारी चेतना का आयाम सीमित नहीं है ,ये अनुभव ही हमें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं
। इन अनुभवों का मतलब ही है कि आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वे संकेत देते हैं कि आप अपनी साधना में सही रास्ते पर हैं
आपके अन्दर एक उच्च शक्ति क्रियाशील है और वो प्रयासों से खुश है ये अनुभव हमारी वासना और संस्कारों की परत के घुलने का प्रतीक हैं
-अतुल विनोद