यह एक ख़ास तरह की उर्जा और चेतना का मिश्रण है , कुण्डलिनी भारतीय योगियों और द्रष्टाओं द्वारा दिया गया एक नाम है | ये हमरी चेतना का सुप्त रूप है , इसका क्रियाशील रूप न केवल हमारे सांस लेने के लिए बल्कि हमारे आध्यात्मिक जागरण के लिए भी जिम्मेदार है। कुण्डलिनी हमारे भीतर एक उच्च आध्यात्मिक शक्ति / ऊर्जा है जो जब जागृत होती है तो हमे योगाग्नि से तपाती है ,यही शक्ति हमें योग के अलग अलग आयामों में ले जाकर इनके वास्तविक अनुभव कराती है , कुण्डलिनी के बिना कोई भी व्यक्ति वास्तविक योग अभ्यासों को पूर्णता में नहीं कर सकता ,ये योग कुण्डलिनी की जाग्रति के बाद स्वयं होते हैं तब उन्हें पढने सीखने या जानने की ज़रूरत नहीं होती | समाधि / गहरी ध्यान अवस्था और वास्तविक ध्यान अनुभव भी यही शक्ति प्रदान करती है।
अतुल विनोद !
अतुल विनोद !

