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ध्यान और प्राणायाम


ध्यान और प्राणायाम को लेकर अभी तक बहुत ज्यादा अध्ययन नहीं हुए। इसीलिए ध्यान और प्राणायाम बहुत ज्यादा मिस अंडरस्टूड है। एक अंधी दौड़ है । सच कोई सुनना नही चाहता । असल ध्यान प्राणायाम का परिणाम है। लेकिन ध्यान को भी कारण बना दिया गया। इसकी वजह यही है कि योग को समझे बिना पूरी दुनिया में अपने फायदे के लिए सिर्फ ध्यान को प्रचारित और प्रसारित किया गया।
प्राणायाम विधि है, प्राणायाम प्रक्रिया है, प्राणायाम ही वह सूत्र है जिसके जरिए ध्यान हासिल किया जा सकता है। दरअसल ध्यान कुंडलिनी जागरण का परिणाम है जब प्राणायाम की विभिन्न विधियों से/ पतंजलि योग महायोग या क्रियायोग से + प्रारब्ध के संस्कारों से/ अच्छे शिक्षक की उर्जा के प्रभाव से/ व्यक्ति की कुंडली जागृत होती है तो वह योग कराती है। जब योग से चित्त की वृत्तियां एकाग्र होने लगती है और विकार विसर्जित होने लगते हैं तब ध्यान घटित होने लगता है। यही असली ध्यान है। बाकी सभी ध्यान सिर्फ और सिर्फ गहरी सम्मोहन की अवस्थायें हैं जो कुछ समय का आनंद देती हैं । पूरी दुनिया में लोग अलग-अलग तरह से ध्यान कर रहे लेकिन तात्कालिक राहत के साथ वो अत्यधिक एकाग्रता के अभ्यास के कारण, कई बार संकट में घिर जाते हैं। लेकिन ध्यान करना नहीं है ध्यान लगना है ध्यान होना है। इस विषय पर जल्द ही विस्तार से प्रकाश डालने की कोशिश की जाएगी
अतुल विनोद :-