पिंड और ब्रम्हांड में समान “पॉवर सर्किट” का विज्ञान| यूनिवर्स से कनेक्ट होने का रहस्य छिपा है शक्ति चक्र में… P अतुल विनोद
सितंबर 07, 2020
भारतीय दर्शन में इसीलिए पत्थर से लेकर आभूषण तक को पूजा जाता है| हम कार को भी पूजते हैं और बैल, गाय, बकरी को भी| सुबह शाम तिजोरी को देखने वाले सेठ के घर में धन की वर्षा होती है| दरअसल उस धन को देखते रहने से हम उसे आकर्षित करते हैं| लेकिन तब जब हम उसे प्रेम से देखें और स्वीकार करें, उसके साथ हम अपनी फ्रीक्वेंसी को जोड़ दें| आजकल इसे लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन कहा जाता है| लेकिन हमारे देश के सेठ साहूकार इसे सदियों से प्रयोग में लाकर धन बढाते रहे हैं| वे सुबह उठकर सबसे पहले अपने हाथों को देखते हैं हाथों में लक्ष्मी का वास कहा गया है| अपनी तिजोरी को खोल कर, अपने धन के भंडार को देखते हैं, उसकी पूजा करते हैं उसे प्रेम से निहारते हैं| इसका परिणाम सब जानते हैं सेठ साहूकारों के पास हमेशा से अच्छी दौलत रही है|
दरअसल हम भी शक्ति चक्र की सगुण अभिव्यक्ति है| मूल रूप से शरीर तो "यंत्र" मात्र है| शरीर के अंदर जो परिपथ है उस में व्याप्त होने वाली शक्ति ही हम हैं|