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इस तरह बनाए जिंदगी को सुखद और आसान…

इस तरह बनाए जिंदगी को सुखद और आसान… 

P ATUL VINOD

हमारे अंदर की शक्तियां  एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी है और इन  POWERS का USE  करके हम न सिर्फ अपनी  प्रॉब्लम्स का सोल्यूसन  हासिल कर सकते हैं बल्कि जिंदगी को   वेल्थ, वैलनेस और विजडम की तरफ की तरफ ले जा सकते हैं|

हमारा ब्रेन, सोल और माइंड मिलकर एक पॉवर का निर्माण करते हैं वही शक्ति जिंदगी चलती है|

मन मस्तिष्क और आत्मा मिलकर थर्डआई बनती है| इन तीनों की शक्ति मिलकर चेतना बनती है| जिसे हम कॉन्सियसनेस कहते हैं|

इस शक्ति को मनोविज्ञान सबकॉन्शियस माइंड पॉवर कहता है|

मनोविज्ञान सिर्फ मन को दो हिस्से में तोड़ता है चेतन और अवचेतन… अध्यात्म इससे भी उपर चेतना की बात करता है| मनोविज्ञान में मन ही सब कुछ है अध्यात्म में चेतना ही सब कुछ है| चेतना में मन के अलावा आत्मा और मस्तिष्क भी शामिल है|

हमारी चेतना हमें न सिर्फ  Reinforce (सुद्रढ़) कर सकती है बल्कि लाइफ को रेगुलेट भी कर सकती है|

कॉन्सियसनेस  के 2 हिस्से होते हैं एक क्रियाशील और एक सुप्त… चेतना के सुप्त भाग को योग में कुंडलिनी कहा जाता है|

हमारी ये चेतना बहुत विलक्षण है|  इसके अंदर वंडरफुल पावर्स हैं| ये चेतना ही हमारे अंदर की सारी गतिविधियों को नियंत्रित करती है|  चेतना हमारे” “Autonomic nervous system”  के जरिए  हमारे शरीर के अंदर मौजूद सैकड़ों तरह के रसायनों और करोड़ों सेल के बीच एक ब्रिज बनाकर  उनमें बैलेंस बनाने का कार्य करती है|

चेतना हमारी शरीर रूपी इस physical machine  के फंक्शंस से  ठीक ढंग से काम  कराती है| इसलिए आपने देखा होगा कि हमारे शरीर के सेल्स हो या अंग सब एक हारमोनी में काम करते हैं|

चेतना न सिर्फ भौतिक शरीर को बल्कि सूक्ष्म शरीर को भी कंट्रोल  करती है| विचारों के जरिए सूक्ष्म शरीर तक पहुंचने वाले सिग्नल को छानने का काम भी यही चेतना करती है|  हालांकि इसका एक बड़ा भाग(कुंडलिनी) स्लीप मोड में रहता है|   फिर भी इसकी थोड़ी सी क्रियाशीलता भी हमें हैरत में डालती है|

इस चेतना को जितने अच्छे विचार मिलेंगे उतनी ही कम शक्ति खर्च होगी |  हम लगातार गलत विचार और ऊर्जा को आमंत्रित करते रहते हैं| इसके चलते चेतना की क्रियाशील ऊर्जा कि बड़ी मात्रा उन्हें छानने में ही खर्च हो जाती है|

हम अपनी चेतना को सुदृढ़ कर सकते हैं कुछ आसान प्रयोगों से ?

१-असंभव को संभव रूप में देखने की कोशिश करें|

हम अपने लक्ष्यों को असंभव मानकर हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते हैं|  क्या हम ये सोच सकते हैं कि वो संभव हो सकते हैं|  इज इट पॉसिबल?  जो इंपॉसिबल लगता है कम से कम उसे पॉसिबल बनाने के बारे में सोचा तो जा सकता है|  एक बार आप सोचें कि ये संभव हो सकता है और जब संभव हो सकता है तो आप ये भी सोचने लगेंगे कि ये कैसे संभव होगा?

जैसे आपका कोई प्रस्ताव( PROJECT, Proposal) है|  जिसे भेजने से आप डर रहे हैं.. आपने मान ही लिया है कि वो रिजेक्ट कर दिया जाएगा|  इसके विपरीत यदि आप इस प्रस्ताव को ज्यादा से ज्यादा लोगों को भेजें,  भले ही वो रिजेक्ट हो जाए,  लेकिन भेजने की कोशिश तो करें संभावनाएं तो बनेगी| ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? नहीं होगा|

जो असंभव नजर आ रहा है, लेकिन आप करना चाहते हैं, उसे करने की कोशिश करें| चाहेआपको कोई आदत बदलनी हो,  या कोई नया काम करना हो|

2- सक्सेसफुल बनने के लिए आपको खुद को परमिशन देनी होगी|

आप खुद को रोके हुए हैं और दूसरों से उम्मीद कर रहे हैं कि वो आपके लिए कुछ करेंगे?  हैरानी की बात है ये|

खुदको अच्छा और सुखी बनाने का भाव पाप नहीं है|  कम से कम अपने बारे में अच्छा तो सोचें…  सोचने में क्या जाता है?

सोचे कि मैं अच्छा हूं, मैं कर सकता हूं, मैं बन सकता हूं, मैं हो सकता हूं|

अच्छे थॉट्स मन में लाना भी एक तरह का कर्म है| कर्म करना हमारा अधिकार है| इस अधिकार का उपयोग अच्छे  कामों के लिए करें|  उसके लिए पहले पॉजिटिव सोचें|

कई लोग स्प्रिरिचुअलिटी  में आगे बढ़ना चाहते हैं…लेकिन पहले ही डर जाते हैं या डरा दिया जाते हैं..  घरबार छूट जाएगा, ये मत करो, वो मत करो, ऐसा मत करो वैसा मत करो, इससे ऐसा होगा, वैसा होगा? ये आप के बस की बात नहीं|

किसी को अपनी चेतना का जागरण करना है, आत्म साक्षात्कार करना है|  उन्हें लगता है कि ये बहुत दूर की बात है ऐसा सदियों में ही किसी को होता है| कदम तो उठाइए|  लोगों के कहने या अपने संकुचित विचारों के दायरे में कैद होकर मत रह जाइए|

3-खुदको को पॉजिटिव एनर्जी से रीइंफोर्स कीजिए

सुबह की शुरुआत होप-फुल थॉट से होनी चाहिए ना की नेगेटिव  मैसेजेस से|

ऐसे लोगों को ब्लॉक कर दे जो आपको कमजोर या नीचा दिखाते हैं|

सुबह उठे तो आपको लाइफ का वेलकम करते हुए मैसेज मिलने चाहिए|

बी पॉजिटिव ..  अपने आसपास भी पॉजिटिव लोगों को ही रखिए|

4-आप जैसे भी हैं जहां हैं वहां खुश रहना तय कर सकते हैं|

ऐसा होगा तब मैं खुश रहूंगा, वैसा होगा तब मैं आनंदित रहूंगा|

जैसा है वैसे में ही पहले खुश हो जाए|

खुशी और अच्छा महसूस करना बाहर की स्थितियों पर निर्भर नहीं है|

हमारे संकल्प पर निर्भर है ये|

एक बार हम तय कर ले कि हमें खुश रहना है अच्छा फील करना है देखिए 1 मिनट में जिंदगी बदल जाएगी|

5-अपनी लाइफ की क्रिस्टल क्लियर इमेज बनाइए|

हम खुद ही स्पष्ट नहीं है तो यूनिवर्स कैसे  हमारी इच्छाओं को पूरा करेगा|  कंफ्यूज मत करिए|  क्लेरिटी के साथ अपने अंदर अपनी लाइफ के  गोल्स, प्रायोरिटी सेट करें| उनके प्रति आशावादी रहें|  बार-बार जीने का ढंग और  प्राथमिकताएं न बदलें|  सोच समझकर लाइफ का ब्लू प्रिंट तैयार करें|  इसमें अपनी अंतरात्मा का सहयोग लें|   हवा हवाई किले तैयार ना करें| अपनी बात तो ईश्वर के सामने रखें|

6-आपको कौन सी चीज आगे बढ़ने से रोकती है आपको पता होनी चाहिए|

आपकी लाइफ के जो भी अवरोध हैं|  वो हटाये  जा सकते हैं या नहीं ये भी आपको पता होना चाहिए|  जिन्हें आप परमानेंट रोढ़े समझ रहे हैं वो भी हट सकते हैं| कुछ भी असंभव नहीं|

७- अपना नेचुरल ब्लू प्रिंट तलाशें

एक पेड़ के बीच में उस पूरे पेड़ की संरचना मौजूद होती है|  हर बीज अपने अंदर मौजूद ब्लूप्रिंट के हिसाब से ही अंकुरित होकर आकार लेता है| आपकी लाइफ का ब्लूप्रिंट भी आपके अंदर मौजूद है बस आपको उस ब्लूप्रिंट को खोजना है|

पेड़ अपना दिमाग नहीं लगाता तो वही बनता है जो उसका ब्लूप्रिंट होता है|  नीम का पेड़ बबूल के पेड़ में कन्वर्ट नहीं होता|  हमारे साथ  दिक्कत ये है कि हम अपने ब्लूप्रिंट को जाने बगैर 50 तरह के ब्लूप्रिंट इकट्ठे कर लेते हैं और इसीलिए लाइफ़ में बहुत ज्यादा घालमेल हो जाता है| हमारी लाइफ का नेचुरल ब्लूप्रिंट कुछ और कह रहा है और हम किसी दूसरे के लाइफ के ब्लूप्रिंट के हिसाब से चलना चाहते हैं|  चेतना नेचुरल ब्लूप्रिंट को आसानी से मेनिफेस्ट कर सकती है, 50 तरह के ब्लूप्रिंट अपने अंदर सेव कर लेंगे तो चेतना को कठिनाई होगी|

8- लाइफ में जो मिला है उसके प्रति हमेशा ग्रिटीट्यूड की फीलिंग रखें|

भारतीय दर्शन हो या पश्चिम का मनोविज्ञान ग्रेटीट्यूड की पावर को सबने माना है|  हर वो चीज जो आपको मिली है या मिलने वाली है उसके प्रति आभार धन्यवाद अहोभाव… रोजाना इसका अभ्यास करें रोजाना थैंक्स कहें|

9-आप जो चाहते हैं उसकी चर्चा करना तो शुरू करें|

खामोश बैठे रहने से दूसरा आपके मन की बात नहीं समझ सकता|  आपको अपनी बात पहुंचाने पड़ेगी|  कहिए और मांगिए|  किसी व्यक्ति ने अपने प्रोडक्ट या कोर्स का मूल्य निर्धारित किया हुआ आप उसका भुगतान नहीं कर सकते लेकिन आपको वो चाहिये,  तो आप चुप मत बैठिए, प्रयास कीजिए, अपनी समस्या रखिए या उसे ऑफर दीजिए, पूछिए तो कि क्या वो आपके बजट में वो चीज अवेलेबल कराएगा?

प्रमोशन चाहिए तो प्रमोशन के बारे में बात कीजिए?  जहां भी, जो भी आपको चाहिए, उसके लिए आपको आवाज़ उठानी पड़ेगी, भले ही आप नकार दिए जाएँ|

10- कोई चीज कैसे होगी इसकी चिंता मत कीजिए|

यदि आपके अंदर विश्वास है, होप है तो रास्ता जरूर निकलेगा|

आप आगे बढ़ते जाएंगे सामने आपको दीवार दिखाई देगी, आप सोचेंगे कि रास्ता बंद हो गया लेकिन दीवार तक पहुंचते ही आपको एक नई पगडंडी दिखाई दी जाएगी, जो आपको मंजिल की तरफ ले जाएगी| संभावनाओं के द्वार अचानक खुल जाते हैं वो दूर से दिखाई नहीं देते|

11- ऐसे लोगों के साथ कभी वक्त ना बिताएं

जो लोग जीवन से नाखुश हैं, अच्छी चीजों में भी नकारात्मकता देखते हैं, हमेशा आप को क्रिटिसाइज करते हैं, आप को प्रोत्साहित करने की बजाय डीमारलाइज करते हैं… ऐसे लोगों के साथ कभी वक्त ना बिताएं| हमेशा क्रिएटिव और पॉजिटिव लोगों के साथ रहें|

अपने आप को मोटिवेट करते रहें… अफर्मेशंस से  पोषित करते रहें| अच्छी बातों को बार बार सुने|  मोटिवेशनल स्पीकर्स में से भी उसे चुने जो यथार्थवादी  बातें करता है और तुरत फुरत के नकली  उपायों की जगह आंतरिक चेतना से पोषित प्रेरणा देता है|