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प्रकृति हमारी मार्गदर्शक है!⛳

एक बार एक राजा किसी रास्ते से निकल रहे थे, तभी अचानक उनकी पीठ पर एक पत्थर लगा,  राजा ने सिपाहियों को पत्थर मारने वाले को गिरफ्तार करने के आदेश दिए और अपने महल को चले गए,  राजा के जाने के बाद जब सिपाहियों ने खोजबीन की तो पता चला कि पत्थर एक बुढ़िया ने चलाया था, बुढ़िया को गिरफ्तार कर लिया गया और राजा के सामने पेश किया गया| 
राजा ने बुढ़िया से पूछा तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक राजा पर पत्थर चलाने की?  बुजुर्ग महिला बहुत घबराई हुई थी, उसने राजा से रोते हुए कहा महाराज मैं 2 दिन से भूखी थी,  आप जहां से निकल रहे थे वहीं एक आम का पेड़ है, अपनी भूख मिटाने के लिए मैंने पेड़ पर पत्थर मारा था जो  आम की डाली से टकराने के बाद आपको जाकर लगा| 
राजा ने पूछा कि तुमने पेड़ को पत्थर मारा था तो तुम्हें क्या मिला? उस महिला ने बताया एक पत्थर मारने पर मुझे कई सारे  मीठे आम मिले| राजा ने बुढ़िया को रिहा करने के आदेश दिए| साथ ही उसे अपने खजाने से कुछ रुपए भी दिए| बुढ़िया के जाने के बाद एक मंत्री ने पूछा महाराज आपने पत्थर मारने वाली महिला को न सिर्फ छोड़ दिया बल्कि उसे पैसों से भी नवाजा? 

राजा ने कहा कि जब एक पेड़ पत्थर लगने पर फल देता है तो मैं कैसे उसे सजा दे सकता था,  प्रकृति हमारी मार्गदर्शक है|
प्रकृति और हमारी नेचर में कितना फर्क है? इस दुनिया में हम सब प्रकृति से कितने दूर हो गए,  प्रकृति मनुष्य की हर हाल में सेवा करती है| जमीन को खोदो तो वहां से पानी निकलता है? पहाड़ों को खोदिये तो पत्थर निकलते हैं?  खदानों को खोदें तो रत्न आभूषण और तरह-तरह के खनिज मिलते हैं? फसल को काटो तो पेट को अन्न मिलता है| पेड़ आपसे कुछ नहीं मागते लेकिन 24 घंटे ऑक्सीजन देते रहते हैं,  फल भी देते हैं फूल भी देते हैं| प्रकृति कभी हमसे कुछ नहीं मांगती, प्रकृति बस देती है|

भोजन, पानी, वायु, प्रकाश, अग्नि  इन्हीं पांच चीजों से हमारा जीवन चलता है, हैरानी की बात यह है कि यह पांच चीजें प्रकृति हमें मुफ्त देती है|  प्रकृति ना तो शिकवा करती है ना शिकायत|
और मनुष्य ? जीवन उपयोगी सभी चीजें मुक्त मिलने के बावजूद भी रोता रहता है |  मनुष्य को कोई दूसरा जरा सा भी कुछ कह दे तो वह आग बबूला हो जाता है | मनुष्य सिर्फ लेने में भरोसा करता है,  देने में मनुष्य का शायद ही कोई विश्वास हो | एक दूसरे को किसी न किसी तरह से काटना उसकी प्रवृत्ति है| जिस दिन मनुष्य प्रकृति से कुछ सीख लेगा उस दिन यह धरती स्वर्ग बन जाएगी|
अतुल विनोद -