हर व्यक्ति को अपनी आंतरिक चेतना का साक्षात्कार करना चाहिए, कुंडलिनी चेतना का ही वह भाग है जो सोया हुआ है, इसके साक्षात्कार के बिना जीवन का वास्तविक स्वरूप उसे पता नहीं चलता |
हम आत्मा की बात करें, चेतना की बात करें मन और प्राण की बात करें, लेकिन जब तक हमें इन सब के मूल स्वरूप का अनुभव नहीं होगा, तब तक हमारा ज्ञान सिर्फ जानकारी ही रहेगा|
हर व्यक्ति का कर्तव्य है वह अपने जीवन की जिम्मेदारियों को अच्छे ढंग से निभाए, अपने परिवार की देखरेख करे, लेकिन इसके साथ ही उसे यह भी जानना चाहिए कि वह इस दुनिया में क्यों आया है? जीवन आखिर क्या है? और जिस आध्यात्मिक स्वरूप की पूरी दुनिया बात करती है वह आखिर है क्या?
कुंडलिनी के माध्यम से हम वास्तव में अपने आध्यात्मिक शरीर का साक्षात्कार क्कर सकते हैं| अध्यात्मिक शरीर में मन प्राण और आत्मा तीनों ही शामिल है| इन तीनों का सक्रिय हिस्सा हमारे जीवन की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति में लगा रहता है| जैसे प्राण सामान्य गतिविधियों के लिए ऊर्जा देता है, मन विचार और भाव पैदा करता है, और आत्मा इन सब के पीछे बैठकर हमें जीवित होने का एहसास कराती है|
कुंडलिनी को ऊर्जा कहा जाता है लेकिन वास्तव में कुंडली सिर्फ ऊर्जा नहीं है बल्कि वह ऊर्जा के साथ साथ मन और आत्मा का भी सुप्त भाग है| जब तक व्यक्ति अपने आत्मस्वरूप को नहीं पहचानेगा वह अपनी आत्मा में स्थित नहीं होगा, वह इस शरीर के साथ जुड़े हुए व्यवहार को ही सब कुछ समझता रहेगा |
कुंडलिनी को लेकर डर उन लोगों में व्याप्त है जिन्होंने इस का साक्षात्कार नहीं किया है, कुंडलिनी कभी हानिकारक नहीं होती| कुंडलिनी तो हमारे अंदर मौजूद वह दिव्य शक्ति है जो हमें दिव्यता की ओर ले जाती है| परेशानियां हमारी ही नासमझी और गलत अभ्यास के वजह से खड़ी होती है जिसे हम कुंडली जागरण का दुष्परिणाम मानने लगते हैं|
अतुल विनोद :-
अतुल विनोद :-
