ब्राह्मण कोई जाति नहीं है| सनातन धर्म में जाति नहीं वर्ण की व्यवस्था थी| जाति व्यवस्था का इतिहास कुछ सौ वर्ष से ज्यादा का नहीं है| महर्षि मनु कहते हैं कि जन्म से कोई भी ब्राह्मण नहीं होता|
जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् भवेत् द्विजः | वेद-पाठात् भवेत् विप्रः ब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः |
जन्म से व्यक्ति शुद्र संस्कारों से द्विज वेद के पठान-पाठन से विप्र जो ब्रह्म को जनता है वो “ब्राह्मण” है | जो ब्रह्म को नहीं जानता वह ब्राह्मण नहीं हो सकता| ब्राम्हण कोई भी बन सकता है| हर व्यक्ति को ब्राह्मणत्व तक पहुंचने का अधिकार है| ब्राह्मण होने के लिए कुछ निश्चित गुण धर्मों का होना आवश्यक है|
शमोदमस्तपः शौचम् क्षांतिरार्जवमेव च| ज्ञानम् विज्ञानमास्तिक्यम् ब्रह्मकर्म स्वभावजम् ||
जिसका चित्र पर नियंत्रण है| जिसने अपनी इंद्रियों को कंट्रोल में कर लिया है| जिसके अंदर सुचिता है सद्भाव है धैर्य है सरल होता है एकाग्रता है जो ज्ञान और विज्ञान में भरोसा करता है वह ब्राह्मण है| ब्राह्मण और पंडित में भी अंतर है| जो धर्म-अध्यात्म के नियमों पर उच्च स्तर पर है वह ब्राह्मण है|कोई भी व्यक्ति जो अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट है वह उस क्षेत्र का पंडित है पंडित का अर्थ है विशेषज्ञ|| सिर्फ ज्ञान से कोई व्यक्ति ब्राह्मण नहीं बन सकता ब्राह्मण बनने के लिए उस ज्ञान को अनुभव और क्रिया में उतारना जरूरी है| सनातन संस्कृति में ब्राह्मणों के कुछ कर्तव्य भी हैं|
ब्राह्मण के कर्त्तव्य –
अध्यापनम् अध्ययनम् यज्ञम् यज्ञानम् तथा |
दानम् प्रतिग्रहम् चैव ब्राह्मणानामकल्पयात ||
लोगों को सही मार्ग पर ले जाने कि शिक्षा देना|
शिक्षा देने के लिए लगातार खुद को शिक्षित करना|
यज्ञ करना और करवाना यानी ऐसे कार्य, अभियान, उपक्रम करना जिससे जनता का कल्याण हो|
अच्छे कार्यों के लिए दान लेना (ऐसे कार्यक्रम जिनमें जनकल्याण छुपा है उनके लिए जन सहयोग प्राप्त करना)
दान देना- एक ब्राह्मण विद्या का दान दे सकता है, अपने ज्ञान का दान दे सकता है| परोपकार के लिए अपने समय का दान दे सकता है|
ब्राह्मण का व्यवहार
ब्राह्मण ब्रह्मांड के नियमों का पालन करते हैं| विश्व के कल्याण के लिए कार्य करते हैं| धर्म के उत्थान का कार्य करते हैं| धार्मिक ग्रंथों को सही रूप में जनता के बीच में ले जाते हैं| गूढ़ ज्ञान को सहज और आसान भाषा में लोगों के कल्याण के लिए उद्घाटित करते हैं| परम सत्य तक पहुंचने के सभी व्यवहारिक मार्गों का प्रचार प्रसार करते हैं| लोगों की संस्कृति और विविधता के अनुसार धार्मिक मान्यताओं के जरिए प्रकृति और परमात्मा के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायता करते हैं|
सभी के सुख के लिए| धरती में कुटुंब भाव पैदा करने के लिए| प्राणी मात्र के उत्थान के लिए ब्राह्मण जन-जन में अलख जगाते हैं
अतुल विनोद