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टीवी, मोबाइल, इंटरनेट की अति से भी होता है पयार्वरण प्रदूषण !

क्या आप जानते हैं कि आपकी एक गूगल सर्च से आप वातावरण मे ५ ग्राम कार्बन डाई ऑकसाइड घोल देते हैं, यूट्यूब वीडियोस, मोबाइल, टीवी या इंटरनेट टीवी के कारण भी बहुत तेजी से प्रदूषण बढ़ता है|

आपके एक ईमेल से यानि १ एमबी डाटा खर्च करने से एयर में १९ ग्राम Co२ बढ़ जाती है । यह मामूली बात लग सकती है, लेकिन अगर हम दुनिया में भर में एक समय में ईमेल भेजने पर गौर करें तो स्थिति का अंदाजा हो जायेगा, दुनिया में एक घंटे में बारह बिलियन से अधिक ईमेल भेजे जाते हैं, आपके बेवजह के विडियो अपलोड के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है, इन्टरनेट का डेटा भंडारण दुनिया के पांच परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बराबर है! और यह सिर्फ शुरुआत है … डेटा की मात्रा हर दो साल में दोगुनी हो जाती है।
इंटरनेट के इस्तेमाल के मामले में भारत दुनिया में दूसरे पायदान पर है. दुनिया में इंटरनेट के कुल यूजर्स में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी है. यानि इंटरनेट से प्रदुषण फ़ैलाने में भारत का योगदान १२ फीसदी है |

डाटा सस्ता होने के कारन भारत में लगातार डिजिटल एक्टिविटी बढ़ती जा रही है जो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है, आपके इनबॉक्स में आने वाला एक ईमेल आपके यहां से जाने वाला एक ईमेल लगभग १९ ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है खास बात यह है कि आपके स्टोर्ड ईमेल्स भी लगातार पोल्यूशन फैलाते हैं, हम लोग अपने मेल बॉक्स में लगातार न्यूज़ लेटर्स और बेफिजूल के ईमेल्स प्राप्त करते हैं, लेकिन यह सभी ईमेल्स रखे रखे भी प्रदुषण फैलाते हैं |
आपके द्वारा चलाए जाने वाले यूट्यूब वीडियोस, मोबाइल, टीवी या इंटरनेट टीवी के कारण बहुत तेजी से प्रदूषण बढ़ता है, आप आजकल टीवी की बजाए मोबाइल पर प्रोग्राम देखना ज्यादा पसंद करते हैं, कपिल शर्मा का शो हो या कोई मूवी या कोई चैनल आप इन्हें मोबाइल के जरिए अपनी पसंद के समय पर देखना पसंद करते हैं , जैसे आपकी कार या बाईक चलाने से वातावरण प्रदूषित होता है वैसा ही आपका ज्यादा इंटरनेट चलाने से प्रदूषण फैलता है | एक कार के चलने से एक समय में जितना प्रदूषण होता है लगभग उतना ही प्रदूषण एक वीडियो की स्ट्रीमिंग से होता है, यदि आपने आधे घंटे का एक वीडियो देख लिया तो लगभग अपने उतना प्रदूषण फैलाया जितना 15 मिनट पेट्रोल कार के चलने से फैलता है, आज हम हर चीज के लिए इंटरनेट पर डिपेंड हो गए हैं, हम घर में 4k टीवी खरीदते हैं और उसे किसी डीटीएच केबल से जोड़ने की बजाए इंटरनेट से जोड़कर नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और हुलु पर लाइव स्ट्रीमिंग करके मूवी या प्रोग्राम देख रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन कर सामने आया हैं

लगातार स्ट्रीमिंग सब्सक्रिप्शन बढ़ रहे हैं, लोग परंपरागत टेलिविजन चैनल्स, परंपरागत डीटीएच या केबल पर भरोसा नहीं करते जो डिजिटल वीडियो होते हैं उनकी फाइल बहुत बड़े आकार की होती है यह एचडी या क्यूएचडी स्तर के होती है, अब इन वीडियोस को देखने के लिए आपको एक इंटरनेट कनेक्शन लेना पड़ता है और यह कनेक्शन बहुत बड़ी मात्रा में डाटा कि खपत करता है जो वक्त के साथ लगातार बढ़ता चला जा रहा है, स्क्रीन की साइज बढ़ने के साथ-साथ वीडियोस की क्वालिटी भी बढ़ती चली जा रही है आजकल 4K रेजोल्यूशन वाली स्क्रीन हाई डेफिनेशन स्क्रीन की तुलना में लगभग 30% ऊर्जा का ज्यादा यूज़ करती है, कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि वह अपनी विडियो क्वालिटी को कम करके करके डाटा की खपत को कम कर सकते हैं, कुछ साल पहले तक लोग डीटीएच और केबल पर ही पूरी तरह डिपेंडेंट थे लेकिन अब लोगों ने over-the-top सर्विसेस पर स्विच किया है अब एमएक्स प्लेयर, नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम वीडियो और हॉटस्टार जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म लोगों को पसंद आ रहे हैं भारत में भी इन कंपनियों के पास अच्छी खासी तादाद में कस्टमर्स का बेस तैयार हो रहा है, दुनिया के तमाम देशों में ओटीटी यानी over-the-top प्लेटफार्म पर वीडियोस और मूवीस देखने की संख्या बढ़ी है |
भारत में लगातार डिजिटल कंटेंट की खपत बढ़ती जा रही है क्योंकि लोगों के मनपसंद शो सीरियल सब कुछ ओटीटी पर मौजूद है, आप कभी भी कोई भी भी सीरियल, कोई भी मूवी कोई भी न्यूज़ देख सकते हैं | डिजिटल कंटेंट लगातार यूज़ हो रहा है इसकी वजह से पोलूशन भी बढ़ रहा है, ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट की माने तो हम लगातार कार्बन का उत्सर्जन पढ़ा रहे हैं, डिजिटल टेक्नोलॉजी की वजह से दुनिया में 4 फ़ीसदी कार्बन का उत्सर्जन बढ़ा है , अभी हम 4% कार्बन का उत्सर्जन कर रहे हैं, डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए आने वाले समय में उत्सर्जन 8% पहुंच जाएगा |
डाटा पोलूशन को कम करने में हम क्या भूमिका अदा कर सकते हैं ?
हम मूवीस या प्रोग्राम्स लाइव स्ट्रीमिंग की बजाए डीटीएच या केबल प्लेटफार्म के जरिए देखें

यूट्यूब पर कम से कम वीडियो देखें

जिन वीडियो को सिर्फ सुनना है उनकी क्वालिटी लोएस्ट मोड पर रखें

बेवजह की वीडियोस अपलोड ना करें

बेवजह वीडियो डाउनलोड ना करें

मूवीस को भी परंपरागत टेलीविजन या सिनेप्लेक्स के माध्यम से देखने की कोशिश करें

बेवजह के ईमेल सब्सक्रिप्शंस को हटा दें

बेवजह के ईमेल या अन्य तरह के ऑनलाइन डाटा को रिमूव कर दे
इससे ना सिर्फ आप वातावरण का प्रदूषण कम करेंगे बल्कि लगातार डाटा की खपत के कारण आपके आसपास होने वाले रेडिएशन के लेवल को भी कम करेंगे याद रखिए मोबाइल पर आप जितने ज्यादा डेटा का उपयोग करेंगे उतना ही ज्यादा रेडिएशन आपके पास पहुंचेगा, इसलिए कम से कम डाटा का यूज करें कम से कम वीडियो देखें कम से कम ऑनलाइन शो, ऑनलाइन मूवीज, ऑनलाइन डाटा ट्रांसफर से बचें |
अतुल विनोद-