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"शरीर नाशवान, आत्मा अविनाशी!" BHAKT BHAGWAN SAMVAD 8



भक्त: हे प्रभु! यह शरीर कितना दुर्बल हो गया है, और मन चिंता से भरा हुआ है। मृत्यु का भय मेरे हर विचार को ग्रसित कर रहा है। ऐसा क्यों होता है कि हम अपने प्रियजनों की मृत्यु का शोक करते हैं?

भगवान: वत्स, शरीर और आत्मा का भेद समझना ही जीवन का सार है। यह शरीर तो नश्वर है, मिट्टी से बना है और उसी में मिल जाएगा। लेकिन जो आत्मा इसमें वास करती है, वह नित्य और अविनाशी है। क्या तुमने कभी सोचा है कि जो मर गया है, वह वास्तव में मरता है या केवल एक अवस्था से दूसरी में जाता है?

भक्त: प्रभु, यदि आत्मा नित्य है, तो फिर मृत्यु का भय क्यों सताता है? और हम अपने प्रियजनों को खोने का शोक क्यों करते हैं?

भगवान: यह तुम्हारी अज्ञानता है, वत्स। जैसे पुराने वस्त्र त्याग कर हम नए वस्त्र धारण करते हैं, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करती है। जो नित्य है, उसके लिए शोक करना उचित नहीं, और जो नश्वर है, उस पर शोक व्यर्थ है।

भक्त: लेकिन प्रभु, जब कोई अपना हमें छोड़कर जाता है, तो हृदय व्यथित हो उठता है। क्या इसका कोई उपाय है?

भगवान: उपाय है, वत्स। सबसे पहले, यह समझ लो कि जो चला गया है, वह केवल शरीर छोड़कर गया है। आत्मा अमर है, और तुम्हारे अपने के साथ उसका संबंध स्थायी है। दूसरा, यह जानो कि हर आत्मा अपनी यात्रा में आगे बढ़ रही है। तुम उन्हें अपने प्रेम और आशीर्वाद से मुक्त करो, न कि शोक और अश्रुओं से बांधो।

भक्त: तो प्रभु, हमें क्या करना चाहिए जब कोई अपना चला जाए?

भगवान: उनके लिए प्रार्थना करो। उन्हें शुभकामनाएं दो। जैसे जल में छोड़ी गई नाव तट तक पहुंच जाती है, वैसे ही तुम्हारी प्रार्थनाएं उनकी आत्मा को शांति और गति प्रदान करेंगी।

भक्त: प्रभु, आप सचमुच करुणामय हैं। आपने मेरे शोक को ज्ञान से बदल दिया। अब मैं समझ गया कि मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।

भगवान: वत्स, यह सत्य का पहला पाठ है। इसे आत्मसात करो और अपने जीवन को शोक से मुक्त कर उत्साह और कर्तव्य के मार्ग पर चलाओ। जब तुम इस सत्य को समझ लोगे, तो तुम भी अपने भीतर के शांति और आनंद का अनुभव करोगे।

भक्त: आपकी कृपा से, प्रभु, मैं इस ज्ञान को अपने जीवन में लागू करूंगा।

भगवान: यही मेरी कामना है, वत्स। अब जाओ और दूसरों को भी इस सत्य से परिचित कराओ। यही तुम्हारा धर्म है।


"Bhagwan Aur Bhakt Ka Geeta Samvad: Aatma Aur Sharir Ka Rahasya!"

  • "शरीर नाशवान, आत्मा अविनाशी!"
  • "गीता का गूढ़ ज्ञान"
  • "Bhakt-Bhagwan संवाद"
  • "क्या सच में मृत्यु है?"