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कुंडलिनी को लेकर भ्रम

लोग बिना सोचे समझे ध्यान करते रहते हैं त्राटक का अभ्यास करते रहते हैं , कुंडलिनी जागृति के लिए प्राणायाम करते रहते हैं , रेचक और कुंभक करते रहते हैं लेकिन इससे कई बार फायदा होने की बजाये अनेक तरह की व्याधिया पैदा हो जाती है , जब आप अपने गुरु को इस तरह की व्याधियों के बारे में बताते हैं तो वह आपसे कहेंगे कि ये आपके अंदर के ब्लॉकेज को खत्म करने का संकेत है और आपकी कुण्डलिनी प्रेशर बनाकर आपके शरीर के अंदर की विभिन्न बाधाओं को दूर कर रही हैं , कई बार आप ध्यान करते हैं तो आपके मस्तिष्क पर बहुत तेज दर्द होता है आपके गुरु आपको बताते हैं कि यह दर्द शुभ है , अनेक तरह की अन्य प्रतिक्रियाओं को भी वह कुंडलिनी का एक्सपीरियंस बताते हैं | लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता ,
यह सच है कि कुंडलिनी के एक्सपीरियंस में और गलत क्रियाओं के परिणाम स्वरूप शरीर में विकार पैदा होने के कारण हो रहे अनुभवों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता | एक सच्चे गुरु का यही पहचान होती है कि वह विकारों से पैदा हुए अनुभव और कुंडलिनी ध्यान से पैदा हुए अनुभवों में विभेद कर सके | आपकी नर्वस जुड़े डिसऑर्डर्स ,,आपके कानों से जुड़े हुए डिसऑर्डर, आपके सिर से जुड़े हुए डिसऑर्डर्स को भी कुंडलिनी से जुड़े हुए अनुभव बताया जा सकता है ,
कुंडलिनी के अनुभव व शारीरिक विकार के अनुभव अनुभव स्पष्ट व विभाजित होते हैं जिन्हें एक अच्छा मार्गदर्शक ही पहचान सकता है | आप स्वयं भी उस कुंडलिनी के अनुभव को पहचान सकते हैं
अतुल विनोद