Type Here to Get Search Results !

जीवन नहीं महाजीवन को समझे🏔

एक व्यक्ति का वर्तमान जीवन महा-जीवन की एक छोटी सी कड़ी है|वर्तमान  जीवन बूंद की तरह है और महा-जीवन समुद्र की तरह|  
हम सब अपने  वर्तमान जीवन की बूंद को ही सब कुछ मान लेते हैं|  लेकिन यदि हमें अपने पूर्व जन्मों की याद आ जाए तो यह जीवन हमें बहुत छोटा लगने लगता है| 
हमें लगता है कि इस जीवन के हमारे रिश्ते-नाते ही सब कुछ हैं| पूर्व जन्मों की याद आते ही जब हमें महा-जीवन की झलक मिल जाती है, तो वर्तमान के रिश्ते-नाते भी क्षणभंगुर नजर आने लगते हैं| सोच का दायरा बहुत बढ़ जाता है| इस लाइफ में ही सब कुछ भोग लेने कि मानसिकता नहीं रहती| 
हर जन्म में एक पत्नी को एक पति मिला है,पति को एक पत्नी| हर जन्म में हमारे बच्चे हुए हैं, हर जन्म में हमारे माता-पिता हुए हैं| ऐसे अनेक जन्मों की याद आते ही हमें पता चलता है कि हर जन्म में जो हमारे रिश्ते नाते थे वह उस जीवन की मृत्यु के साथ ही विदा हो जाते हैं| नए जन्मे में हमें नए लोग मिलते हैं|
पुनर्जन्म की अवधारणा डिजिटल युग के कारण साबित हो गई है|  पहले पुनर्जन्म की इक्का-दुक्का घटनाएं ही रिकॉर्ड हो पाती थी| ऑडियो वीडियो  फैसिलिटी बढ़ने से हजारों घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी हैं| अलग-अलग मीडिया माध्यमों के जरिए पुनर्जन्म की घटनाएँ तस्दीक की जा चुकी है|
पुनर्जन्म की घटनाओं से एक बात साफ हो गई है| व्यक्ति एक जीवन का हिस्सा नहीं है बल्कि उस महा-जीवन का हिस्सा है जो अनंत काल से चला आ रहा है|
पुनर्जन्म की घटनाएं बहुत आश्चर्यजनक है|  हाल ही में एक घटना रिकॉर्ड हुई जिसमें एक हिन्दू बच्चे ने अपने पूर्व जन्म की बातें बताई| तस्दीक की गई तो पता चला कि वह बच्चा पूर्व जन्म में एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ था| अजमेर जिले के मसूदा उपखंड के कालीदाती गांव में तीन साल के बच्चे ने अपने पुनर्जन्म का दावा किया| वर्तमान का तीन साल का लकी पूर्वजन्म का रसूल निकला| लकी के पुनर्जन्म की चर्चा सुनकर कायमखानी का बाडिय़ा मोतीपुरा निवासी मरहूम रसूल की पत्नी रुखसाना उर्फ़ “काजल” लकी से मिलने पहुंची| खोजबीन से साफ़ हो गया की रसूल ही लकी के रूप में पैदा हुआ है| इस घटना से साफ़ हो जाता है कि  जाति धर्म में उलझना भी एक बड़ी भूल ही है| 
यदि व्यक्ति अपने सभी जन्मो को याद कर पाए तो उसके सोचने का तरीका ही बदल जाता है| उसकी जिंदगी के मायने बदल जाते हैं|
Jeewan
पुनर्जन्म की यादों के साथ वर्तमान की जिंदगी को सामान्य रूप से बिताना आसान नहीं होता| ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सब कुछ महत्व हीन नजर आने लगता है|
जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों को याद करे| अहम यह है कि हम महा-जीवन को समझें और वर्तमान जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं से ऊपर उठें| 
यदि हमने महा-जीवन के विज्ञान को समझ लिया, तो वर्तमान जीवन, हमें महा-जीवन की यात्रा का एक पड़ाव नजर आने लगेगा|  और जो पड़ाव है उसके लिए सब कुछ दाव पर नहीं लगाया जा सकता| 
अतुल विनोद