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कोराना का रावण और राम का धर्म...

समय-समय पर प्रकृति ने मनुष्य को कुछ गहरे संकेत दिए हैं। लेकिन हमारा धर्मांध मूढ़ और गुलाम  मस्तिष्क फिर भी आजाद नही हुआ ।

पृथ्वी पर समय-समय पर आई आपदाओं और महामारियों ने जता दिया कि मनुष्य द्वारा निर्मित कथित धार्मिक मान्यताएं थोथी हैं । धर्म के नाम पर बताए जाने वाले जादुई और चमत्कारिक उपायों का सच सबके सामने है। एक और बात कि किसी विशेष धर्म से ताल्लुक रखने से आप प्रोटेक्ट नही हो जाते और दूसरे कथित निचले स्तर के धर्म को मानने से असुरक्षित नही।

हम सब सदियों से अपने आपदाओं का हल भगवान और अल्लाह में देखते रहे हैं। लेकिन ये संकट रावण की तरह देवता और ईश्वर से अभय प्राप्त होते हैं । इन रावणों को ऊपर बैठा परमात्मा नही मार सकता । इन्हें मनुष्य ही मिटा सकता है लेकिन राम बनकर । दरअसल रावण को वरदान था कि उसे भगवान और देवता नही मार सकते।

ये वरदान सिर्फ रावण को ही नही मिला रावण एक प्रतीक है इस धरती पर मौजूद हर प्रकार के खलनायक चाहे वो आतंकवादी हो या कोरोना , मानव को ही इन्हें खत्म करना है। ईश्वर चाहे तो कोरोना को चुटकियों में खत्म कर दे लेकिन नही किया, न ही करेगा , कोरोना से हमे ही लड़ना होगा क्योंकि ईश्वर बाहर नही अंदर है।

राम यानी एक ऐसा मनुष्य जिसके अंदर परमात्मा अभिव्यक्त हो रहा था । जब रावण को मारने के बाद राम से कहा गया कि आप साक्षात नारायण हैं तो उन्होंने कहा हर व्यक्ति भगवान है, बस उसे अपने अंदर बैठे उस ईश्वर को पहचानना है।

कोरोना भी नए दौर का रावण है जिसने हमारी पूरी व्यवस्था को हर लिया है। इस रावण से ऋषि मुनि गुरु ज्योतिषी, मुल्ला मौलवी, तांत्रिक, मांत्रिक, जमाती सब हार चुके हैं। किसी के पास इसे चुटकियों में नष्ट करने का चमत्कारिक उपाय नही है।

मंदिर और मस्जिद में बैठकर भी इससे नही बचा जा सकता !

हालांकि इसके जाते ही सब फिर से फुल फॉर्म में आ जायेंगे , न तो इससे हम सीख लेंगे न धर्म के ठेकेदार । हम फिर चमत्कारों , जादू, टोने, टोटके के पीछे भागेंगे, फिर से जमातें लगेगी और अपने अपने देवता के नाम पर लड़ाइयां शुरू होंगी।

इंसान कोरोना से मुक्त होकर फिर आपने अपने  कथित धर्म की किंवदंतियों में ट्रैप हो जाएगा ।

लेकिन यदि हम सोच सके तो दीवारें गिर सकती हैं । सच दिखाई दे रहा है , ऊपर से कोई नही आने वाला, बचाने वाला डॉक्टर ही भगवान है, आज डॉक्टर्स और कोरोना वॉरियर्स में राम प्रकट हों रहे हैं । वास्तव में राम ऊपर से नही उतरते लेकिन जब जब इंसानी सभ्यता खतरे में पड़ती है तो वो हमारे अंदर ही प्रकट होते हैं । अपने अंदर के राम को प्रकट करने में कुछ तकलीफें झेलनी होती है त्याग करना पड़ता है।

रावण को परास्त करने के लिए वनवास भी भोगना होता है और सुख शांति रूपी अर्धांगिनी को कुछ समय के लिए खोना भी पड़ता है।

राम हमारा इतिहास हैं । इतिहास हमेशा हमे सिखाता है । राम ने भी सिखाया । सबको साथ लेकर , एक जुट होकर सिंहासन का त्याग कर दुश्मन के ख़िलाफ़ लड़ाई छेड़ने के लिए मानव और वानर भी एक हो गए ।

राम ने राजा को भी कुछ सबक दिए , राजा बनने के बाद राजा का अपना कोई परिवार नही होता , पत्नी बच्चे भाई से बढ़कर उसके लिए उसका कर्तव्य ही सब कुछ होता है । उन सबका त्याग भी करना पड़े तो भी सहर्ष करें लेकिन राजधर्म का पालन करें । आज रामायण देखने वाले राजनेता भी राम से सीखें, इस इतिहास पुरुष ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपनी पत्नी सीता को वन में भेजने और भाई को दूर करने में एक सेकेंड भी नही सोचा, आज के राजा इतना त्याग न करें तो कम से कम आपदा के दौर में अपने अपने परिवार और पार्टी के हित से कुछ दिन के लिए ऊपर उठ जाएं , कुछ समय के लिए BJP कांग्रेस करना छोड़ दें। कोरोना में भी यश और धन लाभ का त्याग कर दें?

आज कोरोना की लड़ाई में अस्पतालों में सड़कों पर काम कर रहे डॉक्टर्स, प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस कर्मी राम की तरह पूजनीय हैं । वे अपने और अपने परिवार से ऊपर उठकर शत्रु के विनाश के लिए मैदान में हैं।

हमारी और मानवजाति की असुरक्षा का कारण हमारी गलत मान्यताएं हैं । यदि आज हमने अपने भगवान, अल्लाह, पीर पैगम्बर  के नाम पर बतायी जाने वाली शिक्षाओं को परख लिया तो हमे सच पता चल जाएगा।

हम आज ही मानसिक गुलामी से बाहर आ जाएंगे, धर्मान्धता से मुक्ति का इससे बेहतर समय हो नही सकता। किसी को कटघरे में खड़ा करने से बेहतर स्वयं सच का सामना करना है। मानव निर्मित धर्म और संप्रदायों से मुक्त होकर ईश्वरीय धर्म को समझने और अंगीकार करने का।

आज कोरोना से लड़ाई में जो सबसे बड़ी बाधा है वो है धर्मान्धता, दूसरी बड़ी बाधा युद्ध काल मे प्रजा की लापरवाही, ढिलाई और संकट काल की अनदेखी। तीसरी बाधा कुछ राजाओं और उनकी सेनाओं का व्यक्तिगत हित से ऊपर न उठ पाना ।
अतुल विनोद *