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योग, एक यात्रा है जो हमें हमारे भीतर छिपे दिव्य स्वरूप से जोड़ती है।


"ॐ शिव गोरक्ष आदेश! योग, एक यात्रा है जो हमें हमारे भीतर छिपे दिव्य स्वरूप से जोड़ती है। भगवान गोरक्षनाथ ने षडंग-योग के माध्यम से मानव जीवन के दो प्रमुख उद्देश्यों को परिभाषित किया।"


"पहला गौण उद्देश्य है – सिद्धदेह या दिव्यदेह की प्राप्ति। और दूसरा, मुख्य उद्देश्य है – द्वैत और अद्वैत से परे, नाथ रूप में अवस्थान। यह यात्रा केवल हठयोग और लययोग के अभ्यास से ही संभव है।"

"योग का मूल आधार है प्राणायाम। भगवान गोरक्ष ने प्राणायाम को चार चरणों में बांटा – रेचक, पूरक, कुम्भक, और संघट्टकरण। इसी से बिंदु रक्षा और नाद अनुसंधान संभव होता है।"

"गुरु सियाग योग में प्राणायाम और मंत्र साधना का विशेष स्थान है। गुरु सियाग का मंत्र, जिसे सुनने मात्र से साधक की कुंडलिनी जाग्रत होती है, योग के इस शाश्वत विज्ञान को सरल और सुलभ बनाता है।"


"नाथ संप्रदाय के अनुसार, कुंडलिनी की यात्रा नौ चक्रों से होकर सहस्रार तक जाती है। यह यात्रा आध्यात्मिक प्रगति और परम शिव से लय की स्थिति को दर्शाती है।"

"गुरु सियाग योग में, यह प्रक्रिया सहज और प्राकृतिक होती है। केवल गुरु की तस्वीर देखकर मंत्र का जप करने से साधक के भीतर दिव्यता जागृत होती है।"


"‘हंस’ मंत्र का जप जीव स्वाभाविक रूप से करता है। यह ‘अजपा जाप’ मोक्षदायिनी है। नाथ संप्रदाय के अनुसार, कुंडलिनी का जागरण और चक्र भेदन इस हंस मंत्र से गहराई से जुड़ा है।"

"गुरु सियाग योग में ‘अजपा जाप’ की अंतर्भूति साधक को आत्मा और परमात्मा की एकता का अनुभव कराती है।"


"समाधि की अवस्था में जीवात्मा और परमात्मा का ऐक्य होता है। यह वही अवस्था है जिसे नाथ संप्रदाय ‘नाथपद’ और गुरु सियाग योग ‘परम चैतन्य’ कहते हैं।"


"श्री नाथ जी का योग दर्शन और गुरु सियाग योग, दोनों हमें एक ही संदेश देते हैं – योग केवल साधन नहीं, जीवन की पूर्णता का अनुभव है। अपनी आत्मा की दिव्यता को जागृत कीजिए और शिवत्व को प्राप्त कीजिए।"


"Join the Path of Awakening with Guru Siyag Yoga.
Experience the Ultimate Union. Discover Divinity Within.
ॐ शिव गोरक्ष आदेश!"