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साधना... रुकावटें और समाधान

साधना ...रुकावटें और समाधान

साधना और उपासना की राह इतनी आसान नहीं होती  अक्सर साधनाएं रुक जाया करती हैं क्योंकि साधना की राह में कई तरह की बाधाएं खड़ी हो जाती है।

साधना यश, प्रतिष्ठा और धन प्राप्ति के लिए नही होती। ये सब साधना की राह में बाधा है। साधना का अर्थ ही है साध लेना। हर परिस्थिति में अपने आपको बैलेंस रखना। अपने आप को लालच बेईमानी चोरी हिंसा कठोरता से बचा लेना।

यानी अपने मनोभावों को साध लेना ।

साधना की राह में कंसिस्टेंसी की आवश्यकता है यानी हमें नियमित  रहना पड़ता है !लंबे समय तक हमें अपने मनोभावों को नियंत्रित करते हुए साधना का  अभ्यास करते रहना  चाहिए !

साधना वही कर सकता है जिसमें साधना के प्रति उत्साह हो। उत्साह की कमी साधना की राह में रुकावट पैदा करती है। हम उत्साहित नहीं रहेंगे तो हम साधना के अभ्यास को टालेंगे और जब अभ्यास को टालेंगे तो साधना की गाड़ी हिचकोले खाने लगेगी और एक दिन  रास्ते के किसी मोड़ पर अटक जाएगी।

साधना की राह में हमारे नजदीकी बाधा बन जाते हैं, क्योंकि वे  साधना का महत्व नहीं जानते इसलिए हमें डीमोरलाइज़ करते हैं।

हमारा समाज कुए के मेंढक की तरह है.  कुएं से एक मेंढक बाहर निकलना चाहता है तो बाकी उसे रोकने की कोशिश करते हैं।

ऐसे लोगों की संगति से बचें जो साधना का महत्व नहीं जानते या उनसे अपनी साधना के बारे में कुछ भी शेयर ना करें। अच्छे लोगों की संगति करें उन वीडियोस व ऑडियो का सहारा लें जो आप को मोटिवेट करें।

आपका खान पान सही हो। कम खाएं हल्का भोजन लें।

साधना में धैर्य चााहिये, परिणाम कई बार लेेेट आते हैैं।

साधना में कई बार भ्रम आ जाते हैं। सन्देह पैदा हो जाता है।

कई बार साधना से पहले आने वाले अनुभवों को लोग सिद्दी मान लेते हैं लेकिन याद रखें ब्रम्ह से पहले भ्रम आता है। भ्रम को ब्रम्ह न समझें खुदको सिद्ध पुरुष या देवी मानने की भूल न करें।

आलस, अचानक आयी बीमारी आदि से मन एकाएक उचट जाता है।

हमारे ही नकारात्मक संस्कार हमें  रोकने की कोशिश करते हैं । नकारात्मक ऊर्जा साधना को रोकती हैं  हमे डराती है। लेकिन जो नही रुकता बाधाएं भाग खड़ी होती हैं।

बीच में कई बार परिस्थितियों की वजह से रुकावट आ जाती हैं लेकिन जैसे ही मौका मिले फिर शुरू कर दें

आध्य्यात्मिक साधना के तीन फ़ेक्टर

समय (Time)--Time is an interval between two experiences.आध्यात्मिकता की तरफ बढ़ने वाले व्यक्ति के पास समय का कभी भी अभाव नहीं होता है|क्योंकि उसकी हर वस्तु और स्थिति नियंत्रित और व्यवस्थित होती है |जो व्यक्ति आध्यात्मिकता से दूर होता है ,वह हर वक्त , समय न होने या समय की कमी होने का रोना ही रोता रहता है |एक समय ऐसा आता है जब मृत्यु भी दस्तक दे देती है परन्तु कुछ करने के लिए समयाभाव का रोना तब भी रहता है |
      स्थान  (Space)--आध्यात्मिक व्यक्ति के पास स्थान का कभी भी अभाव नहीं रहता है |उसका ह्रदय विशाल होता है जो प्रत्येक जीव को स्वतंत्रता देने की तरफ इशारा करता है |जबकि आध्यात्मिकता से दूर व्यक्ति के पास स्थानाभाव सदैव रहता है |वह अपने संपर्क में आये हुए व्यक्तियों की स्वतंत्रता में कदापि भी विश्वास नहीं करता है |
    कारण(Cause) --आध्यात्मिकता की तरफ प्रगति करने वाले व्यक्ति को प्रत्येक के पीछे का कारण स्पष्ट होता है |उसे यह भी पता होता है की मानव योनि में उसके जन्म का कारण क्या है?जबकि साधारण व्यक्ति को  अपने जन्म का कारण स्पष्ट नहीं होता है |वह मानव जन्म को मात्र खाना ,पीना,सोना ,अर्थार्जन और धन संग्रह के लिए ही समझता है |इस प्रकार वह मानव जन्म को यूँ ही गवां देता है
अतुल विनोद :-